ध्यान का उद्द्येश्य विचार विहीन होना नहीं है....बल्कि आत्मस्थित होना है. आत्मस्थित होने में विचार शून्यता की स्थित स्वतः ही आती है....
इसलिए विचार शून्यता को ध्यान में ध्येय में मत बनाना अन्यथा असफलता ही हाँथ लगेगी.. .
Yoga Guru in Delhi...
Yogi Anoop
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें