गुरुवार, 4 जुलाई 2013

Taste of Tongue

साधक को दो इन्द्रियों पर अधिक अभ्यास करना चाहिए वो है जिह्वा अर्थात स्वाद और आँख अर्थात देखना.
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 यदि भोजन करते समय स्वाद न लिया जाय तो पाचन और निष्कासन कभी भी ठीक नहीं हो सकता है. 

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