मेरा अपना अनुभव है कि, यदि स्वयं का अच्छा आकलन किया जाय तो स्वयं के अन्दर की कमजोरी को पूरी तरह से ख़त्म तो नही बल्कि कम जरूर किया जा सकता है। इसके बाद ही इस समाज के सुख दुःख को अनुभव किया जा सकता है ।
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रविवार, 14 जून 2009
Inner engineering
मामला चाहे जितना भी बिगड़ जाय उसे सुधारा जा सकता है। पर शर्त ये है कि सुधारने की हममे शिद्दत होनी चाहिए। मन को उस ओर अच्छी भावना से लगना चाहिए । और इसकी सुरुवात सबसे पहले हमें स्वयं से ही करना चाहिए। इस बात में मुझे गांधी , आधुनिक युग में सबसे अच्छे लागतें हैं क्योंकि उन्होंने सबसे पहले बदलाव का प्रारंभ स्वयं से ही किया । मुझे अपना अनुभव बताता है कि अन्तरनुभव जीवन के सत्य को बतला देता है। आज का राजनैतिज्ञ इस अनुभव से वंचित है क्योंकि उसे अन्तरनुभव जैसे वस्तु से तो लेना देना ही नही।
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