सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

योगश्च्चित्त वृत्तनिरोधः

चित्त वृत्ति निरोध , योग है । इसमे कोई संदेह नही है की हम सभी योग को कुछ दूसरा समझते है । सिर्फ़ शारीरिक अभ्यास ही नही बल्कि ये मानसिक और आध्यामिक अभ्यास भी है । अध्यात्म की चरम सीढ़ी है । जिसमे मन को उसकी समस्त बीमारियों को समाप्त करने की बात करते हैं ।

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