शुक्रवार, 12 जून 2009

हमारा ग़लत स्वभाव

जो कमजोरी सिर्फ़ हम ही ख़त्म कर सकते है, हमारे अलावा और कोई नही कर सकता है, उसे हम गुरु या भागवान से ख़त्म करवाने की कोशिश करतें हैं। जैसे हमारे अन्दर मन के रोग हमने स्वयं पैदा कियें हैं और उसे गुरु से ख़त्म करवातें हैं। आधुनिक गुरु घंटाल भी ऐसे है कि शिष्य को ........इसी के साथ साथ एक और विडम्बना है हमारे इस देश में कि जो प्रकृति व भगवान् के अधिकार में है उसे हम स्वयं अधिकार करने की कोशिश करतें हैं। जैसे - यह शरीर प्रतिपल मर रही है पर इसे अनंत काल तक जिन्दा रखने के लिए कितना कोशिश करतें हैं। जब तक हम इसे नही समझेगें तब तक हमारी समस्या का समाधान संभव नही है।